हिमाचल प्रदेश, भारत का स्वर्ग, इस समय एक असामान्य मौसम की स्थिति से जूझ रहा है। राज्य के कुछ हिस्सों में मानसून की तबाही देखने को मिल रही है, जबकि अन्य हिस्सों में आश्चर्यजनक रूप से धूप चमक रही है। इस अप्रत्याशित मौसम के उतार-चढ़ाव ने स्थानीय ग्रामीणों से लेकर पर्यटकों तक सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्या हो रहा है।
भारत में मानसून एक जाना-पहचाना मेहमान है, जो सूखी भूमि को जीवनदान देता है और हमारे जलाशयों को भरता है। हालांकि, इस साल हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। भूस्खलन, बाढ़ और सड़कें बंद होना आम खबरें बन गई हैं, जो हमें प्रकृति की कच्ची ताकत की याद दिलाती हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिससे कई भारतीय सहानुभूति रख सकते हैं, क्योंकि हाल के वर्षों में देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की मौसम संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
जहां बारिश से तर-बतर क्षेत्र मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, वहीं हिमाचल के कुछ हिस्से लंबे समय से सूखा पड़ा हुआ हुआ है तो वहाँ पर भी किसान परेशान है खासकर जो समय पर बारिश पर निर्भर होते हैं। मौसम की इन दोहरी मार से सब परेशां है और जहां तक बात करें तो हिमचा में भरी बारिश के कारन बहुत काम पर्यटक हिमाचल का रुख कर रहे हैं जिस से पर्यटन कारोबार भी ठप पड़ गया है
और अगर आप इस मानसून के सीज़न में हिमाचल आने का प्लान कर रहे हो तो घबराएं नहीं बारिश है तो दिक्कत तो आएगी थोड़ी बहुत बाकि यहां पर इंतेज़ाम बहुत अचे हैं और जो ज्यादा नुकसान होता है वो नदी नालों के किनारे होता है तो नदी नालों के किनारे जाने से बचें बाकि हिमाचल पूरी तरह से सेफ है
बाकि अगर अभी के लये अवॉयड कर सकते हैं तो ज्यादा सही है बस १ महीने में मानसून जाने वाला हैं उसके बाद आप रिलैक्स होकर हिमाचल आ सकते हैं
पिछले कुछ वर्षों ने हिमाचल में की इस मौसम की स्थिति ने देश का ध्यान खींचा है। समाचार चैनल बचाव कार्यों, राहत प्रयासों और स्थानीय लोगों के सामने आ रही चुनौतियों की रिपोर्टों से भरे हुए हैं और बहुत से लोग सोशल मीडिया पर पुरानी क्लिप्स बार बार डाल रहे हैं जो की सरासर गलत है इतनी भी बर्ष नहीं हो रही जितनी सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही है
ये सारा जो नुकसान हो रहा है इसका मुख्या कारण है जलवायु परिवर्तन और लोगों का नदी नालों के करीब घर बनाना और इस के साथ साथ जो रोड्स इत्यादि बनाने में पहाड़ों की कटाई हो रही है उस वजह से भी नुकसान ज्यादा हो रहा है
ये संकट केवल हिमाचल का नहीं है बल्कि एक वैश्विक संकट है जो इस धरती को तेजी से प्रभावित कर रहा है हमारी गतिविधियों, विशेषकर जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग के कारण वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि हो रही है। इन गैसों के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रभावों में समुद्र का स्तर बढ़ना, ग्लेशियरों का पिघलना, बे मौसमी घटनाएं जैसे बाढ़, सूखा और तूफान इत्यादि शामिल हैं। ये परिवर्तन हमें नुकसान पहुंचा रहे हैं, कृषि उत्पादन को प्रभावित कर रहे हैं, और लाखों लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। हमें जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना होगा, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना होगा, और वनों के संरक्षण पर ध्यान देना होगा। साथ ही, हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी ऊर्जा संरक्षण के उपायों को अपनाना होगा।
जलवायु परिवर्तन एक जटिल समस्या है, जिसके समाधान के लिए वैश्विक सहयोग आवश्यक है। हमें सभी को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा और एक स्वच्छ और स्थायी भविष्य के लिए काम करना होगा।